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मन
मन सभी प्रवृतियों का अगुआ है । यदि कोई दूषित मन से कटु वचन बोलता है दूषित कर्म करने को तत्पर रहता है तो दुख भी उसका अनुसरण करने लगता है। --
धम्मपद
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