कलियुग

यह कलियुग आयो अबै, साधु मानै कोय। 
कामी, क्रोधी, मसखरा, तिनकी पूजा होय।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

यही जमाना है जी...


सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल 'समीर'

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

धन्यवाद! इतने मूल्यवान विचारों का
साझीदार मुझे बनाया।
नववर्ष की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए!
सद्भावी--डॉ० डंडा लखनवी,

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