Pages
BLOG
LIBRARY
Join Face Book
सम्पर्क
..
स्वप्न
मैं उस चींटी की तरह हूं जो बार बार गिरने के बावजूद चढ़ती है। पर हार निराश नहीं करती। मैंने जान लड़ाकर काम किया और स्वप्न देखे।-- अमृतलाल नागर (1916- 1990)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
[
ऐसी वाणी बोलिए
][ BLOG CREATED BY :
RJV
] [ ENRICHED BY :
adharshila
] [ POWERED BY :
BLOGGER
]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें