दुःख

दुःख का बोध दुःख से मुक्ति है , क्योंकि दुःख को जान कर कोई दुःख को चाह नहीं सकता और उस क्षण जब कोई चाह नहीं होती और चित वासना से विक्षुब्ध नहीं होता हम कुछ खोज नहीं रहे होते उसी क्षण उस शांत और अकंप क्षण में ही उसका अनुभव होता है जो की हमारा वास्तविक होना है !-- ओशो

1 टिप्पणी:

Rakesh Kumar ने कहा…

बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर.ज्ञानवर्धक तथ्यों को बताने के लिए बहुत बहुत आभार.

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